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स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय द्वारा दिव्‍यांग कोटा के अंतर्गत स्‍नातकोत्‍तर चिकित्‍सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश की मंजूरी‘ऐतिहासिक निर्णय’: जे.पी. नड्डा

abslm 21-08-2018 

स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने दिव्‍यांगजनों को आरक्षण का अधिक लाभ देने के लिए स्‍नातकोत्‍तर चिकित्‍सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए विनियमन में संशोधन को मंजूरी दे दी है। दिव्‍यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अनुरूप दिव्‍यांगजनों द्वारा भरी जाने वाली सीटों को तीन से बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है।
इस निर्णय की सराहना करते हुए स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने कहा है कि प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका‍ विकास’ के दृष्टिकोण के अनुरूप दिव्‍यांग भाईयों-बहनों के कल्‍याण के लिए सरकार ने 20 वर्ष के बाद ऐतिहासिक फैसला किया है। इससे राष्‍ट्र की प्रगति में उनका भी समान योगदान सुनिश्चित होगा। श्री नड्डा ने कहा, ‘अब दिव्‍यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत अधिसूचित दिव्‍यांगता के 21 महत्‍वपूर्ण प्रकारों में आने वाले सभी दिव्‍यांगजन चिकित्‍सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पंजीकरण करा सकते हैं।’
संशोधित प्रावधान के अनुसार दिव्‍यांगता के 21 प्रकारों – दृष्टि हीनता, कम नजर आना, कुष्ठ रोगी व्यक्ति, बहरा (कम सुनने वाला), स्थूलता विकलांगता, बौनापन, बौद्धिक विकलांगता, मानसिक बीमारी, ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार, सेरेब्रल पाल्सी, मस्‍क्‍यूलर डिस्ट्रोफी, क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल कंडीशंस, विशिष्ट ज्ञान पाने में कमी, मल्टीपल स्केलेरोसिस, बोलने और भाषा की अपंगता, थैलेसीमिया, हीमोफिलिया, सिकल सेल रोग, एकाधिक विकलांगता (बहरा-अंधपन शामिल), ऐसिड हमलों से पीडि़त, पार्किंसंस बीमारी को अब दिव्‍यांगजनों के लिए आरक्षण में शामिल किया जाएगा।
इसी के अनुसार ऐसे सभी उम्‍मीदवारों के पंजीकरण के लिए केन्‍द्रीय परामर्श के वास्‍ते डीजीएचएस द्वारा इस्‍तेमाल किये जाने वाले सॉफ्टवेयर में संशोधन किया गया है। आरक्षित कोटा के तहत चयनित उम्‍मीदवार को प्रवेश देने से पहले दिव्‍यांगता का स्‍तर निर्धारित करने के लिए चिकित्‍सा जांच कर सीटों का पंजीकरण/आवंटन किया जाएगा।  

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