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विश्वविद्यालय का कार्य केवल ज्ञान बाटना नहीं होता बल्कि ज्ञान का सर्जन भी यहां पर होता है


Abslm सिरसा,07 अप्रैल 2018

चौ0 देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा को सैंटर ऑफ ऐक्सिलैंस के रूप में विकसित किया जाएगा। वर्तमान वित वर्ष के लिए हरियाणा सरकार द्वारा चौ0 देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा को 45 करोड रूपयें के बजट का प्रावधान किया गया है। विश्वविद्यालय का कार्य केवल ज्ञान बाटना नहीं होता बल्कि ज्ञान का सर्जन भी यहां पर होता है। किसी भी विश्वविद्यालय कि पहचान वहां पर चल रही शोध गतिविधियों से होती है इसलिए प्रत्येक विभाग को अपने शैक्षणिक उद्देश्य निर्धारित करके कार्य करना चाहिए।  ये उद्गार चौ0 देवी लाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 विजय कायत ने शुक्रवार को देर सायः अपने कैंप ऑफिस के केमेटी रूम मे विश्वविद्यालय के अधिष्ठाताओं एवम् विभागाध्यक्षों को सम्बोंधित करते हुए व्यक्त किए। कुलपति ने कहा कि अप्रैल माह से नए वित्त वर्ष कि शुरूआत होती है और विश्वविद्यालय के विकास के लिए एवम् गुणवत्तापरक शोध कार्यों के लिए धन कि कमी को आडे नहीं आने दिया जाएगा। 
कुलपति ने कहा कि वर्तमान युग सूचना प्रोद्योगिकी का युग है और विद्यार्थियों को उद्योग जगत कि मांग के अनुसार विद्यार्थियों को तैयार करना शैक्षणिक संस्थानों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है। आने वाले समय में सरकारी शिक्षण संस्थानों को निजी व कॉरपोरेट सैक्टर के संस्थान चुनौती देगें इसलिए सरकारी संसथानों को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ आय के अन्य साधन जुटाने होंगे। प्राध्यापकों कोे शोध प्रोजेक्टस के लिए आवेदन करने कि सलाह भी कुलपति ने दी। कुलपति ने कहा कि प्रत्येक विभाग प्रत्येक शिक्षक को आत्ममंथन करके विभाग के विकास के लिए योजना तैयार करनी चाहिए और विद्यार्थी हित के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए । प्रत्येक शिक्षक की अपनी प्रतिभा है और उसकी प्रतिभा एवम् रूचि अनुसार विभागाध्यक्ष द्वारा यदि कार्य का आंबटन होता है तो निश्चित रूप से साकारात्मक परिणाम सामने आऐगें। 
कुलपति ने कहा कि शिक्षको के कौशल को विकसित करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन भी विश्वविद्यालय स्तर पर किया जाएगा।  कुलपति ने कहा कि अच्छा वैज्ञानिक व सामाजिक  शोध कार्य करके भी विश्वविद्यालय समाज उत्थान में अपना योगदान दे सकतें है। 
बैठक के दौरान अनेक वरिष्ठ प्रोफेसरों ने विश्वविद्यालय के विकास के लिए सुझाव दिए और कहा कि शिक्षको कि भर्ती की जानी चाहिए और विश्वविद्यालय का सारा रिकॉर्ड ऑनलाइन होना चाहिए। विद्यार्थियों के उर्जा को सही दिशा देने के लिए समय-समय पर व्यक्तित्व विकास से सम्बन्धित कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए। विश्वविद्यालय के अन्दर रोजगाार मेले लगाए जाने चाहिए। ताकि विद्यार्थियों को रोजगार प्रदान किए जा सकें। शिक्षा पद्धति में भी बदलाव के सुझाव प्रोफेसरो द्वारा दिए गए। इस बैठक में प्रो0 अन्नु शुक्ला,प्रो विक्रम सिंह , प्रो0 सुलतान सिंह, प्रो0 सुरेश गहलावत, प्रो0 दिप्ती धर्माणी, प्रो0 दिलबाग सिंह, प्रो0 विष्णु भगवान, प्रो0 पंकज शर्मा, प्रो0 राजकुमार, प्रो0 रविन्द्र अहलावत, प्रो0 मोनिका वर्मा, डॉ0 मनोज सिवाच, डॉ0 सेवा सिंह बाजवा, डॉ0 हरिश, डॉ0 अमित सांगवान, डॉ0 मन्जू नेहरा, होरीलाल शर्मा आदि उपस्थित थे। 


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