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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों का बंटवारा करते हुए अपना फैसला सुनाया



LG vs Delhi Government: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों को लेकर अपना फैसला सुना दिया है, हालांकि सर्विसेज पर कोई सहमति नहीं बन पाई और उसे बड़ी बेंच को भेज दिया गया।
abslm लक्ष्मण सिँह स्वतंत्र

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों का बंटवारा करते हुए अपना फैसला सुनाया। अधिकारों को लेकर दिल्ली में जारी झगड़ों में किसी में राज्य सरकार को जीत मिली है तो किसी में उपराज्यपाल को कामयाबी हासिल हुई है। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने दिल्ली में नौकरशाहों की नियुक्ति और ट्रांसफर को लेकर केंद्र या दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र पर खंडित फैसला फैसला सुनाया। 
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर अपना खंडित फैसला वृहद पीठ के पास भेजा है। दो सदस्यीय पीठ की इस सवाल पर अलग-अलग राय है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सेवाओं पर नियंत्रण किसके पास है। दो सदस्यीय पीठ भ्रष्टाचार रोधी शाखा, राजस्व, जांच आयोग और लोक अभियोजक की नियुक्ति के मुद्दे पर सहमत हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र के पास जांच आयोग नियुक्त करने का अधिकार होगा। पब्लिक सर्विस कमीशन पर तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी। इसे लेकर दोनों जजों में मतभेद हैं। कमीशन ऑफ इन्क्वायरी का अधिकार केंद्र के पास रहेगा। जबकि बिजली बोर्ड दिल्ली सरकार के अधीन आएगा। 
वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने 6 मुद्दों पर फैसला सुनाया है। SC ने उनमें से 4 में केंद्र के पक्ष में फैसला सुनाया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB), ग्रेड 1 और ग्रेड 2 अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर, कमीशन ऑफ इन्क्वायरी केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। वहीं बिजली विभाग, राजस्व विभाग, ग्रेड 3 और ग्रेड 4 अधिकारी की पोस्टिंग और ट्रांसफर दिल्ली सरकार के अंतर्गत आएगा। राय के अंतर के मामले में एलजी का फैसला मान्य होगा।
जस्टिस एके सीकरी ने कहा, 'संयुक्त सचिव की पोस्टिंग-स्थानान्तरण और ऊपर के अधिकारी एलजी के डोमेन में हैं, जबकि अन्य अधिकारी दिल्ली सरकार के अधीन आते हैं।' उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार सरकारी अभियोजकों की नियुक्ति कर सकती है। वहीं न्यायमूर्ति अशोक भूषण 'सर्विसेज' के मुद्दे पर न्यायमूर्ति सीकरी से अलग राय रखते हैं और कहा कि सभी अधिकारी केंद्र सरकार के क्षेत्र में आते हैं। इसके बाद दिल्ली में 'सेवाओं' पर अधिकार किसका होना चाहिए, यह तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इसे बड़ी बेंच को भेजा है। दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच सेवाओं के नियंत्रण संबंधी मुद्दे पर टकराव की स्थिति रहती है। 
इसके अलावा भूमि राजस्व की दरें तय करने समेत भूमि राजस्व के मामलों को लेकर अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उपराज्यपाल को अनावश्यक रूप से फाइलों को रोकने की जरुरत नहीं है और राय को लेकर मतभेद होने के मामले में उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाना चाहिए।

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