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दुनिया चाकू के ऊपर खड़ी है " कोरोना वायरस" पर दो शब्द

"कोरोना वायरस" पर दो शब्द
(दुनिया चाकू के ऊपर खड़ी है)
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  शब्द -मणिकांत मणि

घर में पालन करो लाॅकडाउन,
आज सच में विकट की घड़ी है।
जब है रहने का ठौर-ठिकाना,
भीड़ बढ़ाना, तुझे क्या पड़ी है?
न तु हल्के में समझो "कोरोना"
दुनिया चाकू के ऊपर खड़ी है।

पर ये कटना है मुश्किल, गरीबी का दिन।
जो कमाकर ही खाते थे,रोज कीन-कीन।
सोंचो जीवन होगा,उनका कैसा कठिन?
मेरे पांव तले से है,खिसका ज़मीन।

फिर भी होगा, सबूरी से रहना,
नून- रोटी से आफत बड़ी है।
घर में पालन करो लाॅकडाउन,
आज सच में विकट की घड़ी है।
जब है रहने का ठौर-ठिकाना,
भीड़ बढ़ाना तुझे क्या पड़ी है?
न तु हल्के में समझो कोरोना,
दुनिया चाकू के ऊपर खड़ी है।
दुनिया चाकू के ऊपर खड़ी है।
दुनिया चाकू के ऊपर खड़ी है।
copyright@manimirror.blogspot.com

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