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मनुष्य स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हैं फल






  
नसरीन
प्राचीन समय से मनुष्य कंद-मूल-फल का उपयोग भोजन में करता आ रहा है। इसके उपयोग का वर्णन हमारे वैदिक ग्रंथों में भी उपलब्ध है। साथ ही फल सर्वप्रिय आहार भी हैं। फल पुष्टिकारक तो होते ही हैं, उनमें विटामिन और प्राकृतिक लवण भी भरे रहते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी हैं, इनके अभाव में शरीर रुग्ण व कमजोर हो जाता है।
फलों में मिठास की प्रधानता होती हैं। इस मिठास के कारण ही फल पचा हुआ भोजन कहलाता है क्योंकि फलों को पाचन में हमारी पाचन प्रणाली को विशेष श्रम नहीं करना पड़ता। पेट की गड़बड़ी को ठीक करने के लिए फल से अच्छे किसी दूसरे भोजन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। फलों के रस के प्रयोग से लाभ और भी जल्द होता है।
फलों में जो पचा हुआ भोजन रहता है उसके कारण फल खाते ही या उसका रस पीते ही सुस्ती और थकावट दूर होकर ताजगी और ताकत मालूम होती है, क्योंकि फल के आमाशय में पहुँचते ही शरीर उसका उपयोग शुरू कर देता है। फलों के उपयोग से दूसरे भोजन भी आसानी से पचते हैं। बहुत से फलों में पेप्टीन नामक एक खाद्य पदार्थ रहता है जो भोजन के पाचन में सहायक होता है। फलों की उपस्थिति के कारण अमाशय से पाचक रस भी अधिक स्त्रवित होता है। फलों के रस कृमिनाशक होते हैं। उनके उपयोग से हमारे शरीर में स्थित रोग के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं क्योंकि फलों में जो साइटिक अम्ल होता है उनके संपर्प में आकर कीटाणु एक क्षण के लिए भी ठहर नहीं सकतें।
नींबू और खट्टे सेब का रस तो इस काम को और तेजी से करता है। अपने कृमिनाशक प्रभाव के कारण पायरिया रोग में नींबू का रस मुँह और दाँत साफ करने के लिए उपयोगी है। रोजाना एक गिलास पानी में नींबू का रस डालकर पीने से पेट के तमाम रोग दूर हो जाते हैं। गर्मी के दिनों में कच्चे आम को उबालकर उसमें शकर-नमक डालकर पीने से शरीर को ठंडक पहुँचती हैं और लू लगने का खतरा नहीं रहता है।
कहा जाता है कि पपीते की तुलना में शीघ्र लाभदायक और प्रभाव दिखलाने वाला अन्य खाद्य पदार्थ शायद ही दूसरा कोई हो। स्वाद की दृष्टि से भी यह सभी को सहज ही पसंद आता है। इसे गरम देशों की एक अमूल्य निधि के रूप में माना जाता है। इसके वैज्ञानिक विश्लेषण से यह पता लगा कि यह शरीर का क्षार संतुलित रखता है। इसमें विटामिन 'ए' और 'सी' प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें विटामिन 'बी' काफी मात्रा में और 'डी' अल्प मात्रा में पाया जाता है। इसके नियमित उपयोग से शरीर में इन विटामिनों की कमी नहीं रहती। इसमें पेप्सिन नामक तत्व पाया जाता है, जो बहुत ही पाचक होता है। यह पेप्सिन प्राप्त करने का एकमात्र साधन है। पपीते का रस प्रोटीन को आसानी से पचा देता है। इसलिए पपीता पेट एवं आँत संबंधी विकारों में बहुत ही लाभदायक है। यह सर्वविदित तथ्य है कि अधिकांश रोगों की उत्पत्ति पेट के विकारों से ही होता है। कुछ रोग अपवाद हो सकते हैं। उदर संबंधी विकार कई रोगों के आरंभिक लक्षण हैं।
यदि इन विकारों को दूर कर दिया जाए तो उन रोगों से बचा जा सकता है। उदर के रोग दूर करने में पपीता बेजोड़ है। यह उदर और आँतों की सफाई कर क्षार का प्राकृतिक स्तर बनाने का काम उत्तम ढंग से करता है। यदि आँतें स्वच्छ रहें तो भोजन में आनंद आने लगता है तथा रुचिपूर्वक भोजन करने से उसका परिपाक भी होता है। इस प्रकार के भोजन से तृप्ति भी मिलती है और स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। आँतें साफ हो जाने से सारे शरीर की सफाई हो जाती है और शरीर की समस्त प्रणालियाँ सशक्त होकर अपना कार्य सुचारु रूप से करने लगती हैं। पपीते में पाया जाने वाला विटामिन 'ए' त्वचा एवं नेत्रों के लिए बहुत आवश्यक होता है। इस विटामिन से त्वचा स्वस्थ, स्वच्छ और चमकदार रहती है। नेत्र रोगों से रक्षा करने में विटामिन 'ए' का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है। बच्चों की वृद्धि में और रोगों से बचाव की क्षमता बढ़ाने में भी विटामिन 'ए' की आवश्यकता रहती है। पपीते में कैल्शियम भी अच्छी मात्रा में होता है, जो रक्त एवं तंतुओं के निर्माण एवं हृदय, नाड़ियों तथा पेशियों की ािढया ठीक रहने में सहायक होता है। कैल्शियम नेत्रों के लिए भी आवश्यक माना जाता है एवं माताओं के दूध बनने तथा उसकी मात्रा बढ़ाने में सहायक माना जाता है। शिशुओं और बच्चों के अस्थि निर्माण में भी कैल्शियम का महत्वपूर्ण स्थान है। कैल्शियम के अभाव में अस्थियाँ कमजोर रह सकती हैं। अस्थियों और दाँतों की बाढ़ प्रभावित होकर कई दोष भी पनप सकते हैं, मसूढ़ों पर भी कुप्रभाव होता है। पपीते में विटामिन 'बी' और 'सी' तो अच्छी मात्रा में पाए ही जाते हैं, साथ ही विटामिन 'डी' भी अल्पमात्रा में होता है। इसमें फास्फोरस, मैग्नेशियम, सोडियम तथा अन्य खनिज-लवण भी उपस्थित रहते हैं, जो सभी शरीर के स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक होते हैं। हमारे देश में आम एक प्रचलित और स्वादिष्ट फल है। भारतवर्ष के सभी स्थानों में इसकी उत्पत्ति होती है। छोटे से छोटे और बड़े से बड़े बगीचों में इसके वृक्ष लगाए जाते हैं। सड़कों के दोनों ओर आम के वृक्ष एक अपूर्व शोभा देते हैं। आम के पेड़ के प्राय समस्त अंग काम में आते हैं। औषधि प्रयोग में विशेषकर इसकी गुठली ली जाती है। आम का कच्चा फल स्वाद में खट्टा और पका फल मीठा होता है। यह रूधिर विकार दूर करने वाला तथा फोड़े-पुँसियों का नाश करने वाला है।
कच्चे आम के गुण यह कसैला खट्टा, रुचिकारी होता है। कच्चे आम रूक्ष और त्रिदोषकारक होते हैं।
अमचूर के गुण ःकच्चे आम के ऊपर का छिलका उतारकर उसको सुखा लेते हैं। इसी को अमचूर कहते हैं। यह स्वाद में खट्टा और रुचिकारक है। गुणों में दस्तावर और कफ वातजित है। इसको दाल या तरकारी में डालते हैं तथा गहने और बर्तन भी इससे साफ करते हैं।
पका हुआ आम कुछ मीठा, स्वादिष्ट, पौष्टिक, चिकना, बलदायक, वातनाशक, हृदय को बलदायक होता है। शरीर की कांति को बढ़ाने वाला, शीतल, क्षुधावर्धक तथा पित्त को साम्यावस्था में लाने वाला है।
आम रसःआम का रस निचुड़ा हुआ- बलकारी, वायुनाशक, दस्तावर, हृदय को तृप्त करने वाला और कफवर्धक है। सूर्य किरणों से सुखाकर तैयार किया हुआ रस हल्का होता है। यह पित्तनाशक होता है तथा प्यास और जी मचलाने की शिकायत दूर करता है। यह सूखकर पापड़ी के समान हो जाता है। यह रूधिर विकारनाशक, देर से पचने वाला मधुर और शीतल होता है।
आमपाक दो किलो कच्चे आमों को छीलकर कतर लें। फिर दो लीटर पानी में पकाएँ। जब आधा पानी रह जाए तब ठंडा कर धो लें। फलालेन के कपड़े में रस टपका लें। फिर इस अर्प के समान शकर मिला पक्की चाशनी कर लें। इसे खाने से मन प्रसन्न रहता है। इसे अँगरेजी में 'मैंगो जैली' कहते हैं।
दुग्ध के साथ आम इसका सेवन अत्यंत लाभदायक है। यह स्वादिष्ट और रुचिवर्धक होने के साथ-साथ वातपित्त कफनाशक, बलवर्धक, पौष्टिक और देह के वर्ण को निखारने वाला है।
आम की गुठली आम की गुठली के गूदे में बहुत से पौषक तत्व सम्मिलित हैं। आयुर्वेद शास्त्र में इसका खूब उपयोग किया गया है।
कुछ सामान्य रोगों का आम से इलाज इस प्रकार किया जा सकता है गले के रोग ःआम के पत्तों को जलाकर गले के अंदर धूनी देने से गले के अनेक रोग दूर होते हैं।
जी मिचलाना आम की मिंगी के 5 ग्राम चूर्ण को दही के साथ मिलाकर सेवन करने से जी मिचलाना और पेट की जलन दूर होती है।
मकड़ी का विष अमचूर को पानी में पीसकर विषैले स्थान पर लगाएँ। इससे विष और फफोले में शीघ्र आराम होता है।
पुंसियाँ आम की छाल पानी में घिसकर लगाएँ।

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