राजू बोहरा
अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच का साहित्य उत्सव एवं सम्मान समारोह हर बीतते साल के साथ यह साहित्यिक लिहाज से और समृद्ध हो रहा है आज मुक्त धारा ओडिटोरियम भाई वीर सिंह मार्ग, गोल मार्केट,
नई दिल्ली में अखिल भारतीय स्वतन्त्र लेखक मंच का 24 वाँ वार्षिक साहित्य उत्सव महामना श्री मदन मोहन मालवीय,
आदर्श पुरुष, मोहम्मद रफ़ी प्रख्यात गायक, श्री धर्मवीर भारती,लेखक कवि नाटककार,श्री बनारसीदास चतुर्वेदी,प्रसिद्ध पत्रकार, एवं श्री जैनेन्द्र कुमार, प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कथाकार की की याद मे उनकी जयंती के रूप आयोजित किया गया । अखिल भारतीय स्वतन्त्र लेखक मंच के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र सहित वरिष्ठ समाज सेवी यशपाल गुप्ता ने कार्यक्रम का उद्घघाटन एंव सरस्वती चित्र पर दीप प्रज्व्वालित कर किया I
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि ,पूर्व महापौर महेश चन्द्र शर्मा वरिष्ठ पत्रकार मनोहर पुरी, श्री योगराज शर्मा एन0डी0 टी0वी0
के वरिष्ठ पत्रकार मुन्ना भारती ,ने भी सरस्वती चित्र पर माल्यार्पण करी Iसाहित्य उत्सव समारोह का शुभारम्भ विद्या और कला की देवी मां सरस्वती की वंदना से साथ किया गया बच्चों ने राष्ट्रीय एकता के सूत्र में सभी को एक करने के लिए गरिमामय रूम मे राष्ट्रीय वंदना करी Iसाहित्य उत्सव समारोह मे बच्चों ने समूह मे कलात्मक औेर सांस्कृतिक विरासत पर मंथन करते हुए
गीत नृत्यों के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए । समारोह में गीत गजलों का दौर भी बीच बीच में चलता रहा जिसमे वरिष्ठ कवि श्री नरेंद्र सिंह होशियार पुरी ने अपनी कविताओं के माध्यम से काव्यात्मक गीत की दुर्लभ संगति दी है और उन्होंने वास्तविकता एवं गल्प को समानता के साथ समाहित किया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि ने कहा, कि भारतीय संस्कृति न तो व्यक्तिवादी है और न समूहवादी। हमारी संस्कृति तो व्यक्तित्ववादी है परन्तु पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर हमारा समाज व्यक्तिवाद पर केन्द्रित होता जा रहा है और यही वजह है कि आज हमारे चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है,
और व्यक्ति स्वार्थी होता जा रहा है।
पूर्व महापौर श्री महेश चन्द्र शर्मा ने कहा, मालवीयजी देश की एकता में उन्नति और विकास का प्रतिबिंब देखते थे। उनका कहना था, ‘भारतवर्ष केवल हिंदुओं का देश नहीं है। यह तो मुस्लिम, ईसाई और पारसियों का भी देश है। यह देश तभी समुन्नत और शक्तिशाली हो सकता है,
जब भारतवर्ष की विभिन्न जातियाँ और यहां के विभिन्न संप्रदाय पारस्परिक सद्भावना और एकात्मकता के साथ रहें। जो भी लोग इस एकता को भंग करने का प्रयास करते हैं, वे केवल अपने देश के ही नहीं,
वरन् अपनी जाति के भी शत्रु हैं। हमे उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
मंच के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र ने मोहम्मद रफ़ी के जीवन प्रसंग पर कहा जिन्हें दुनिया रफ़ी या रफ़ी साहब के नाम से बुलाती है, हिन्दी सिनेमा के श्रेष्ठतम पार्श्व गायकों में से एक थे। अपनी आवाज की मधुरता और परास की अधिकता के लिए इन्होंने अपने समकालीन गायकों के बीच अलग पहचान बनाई। इन्हें शहंशाह-ए-तरन्नुम भी कहा जाता था। मोदम्मद रफ़ी की आवाज़ ने अपने आगामी दिनों में कई गायकों को प्रेरित किया। इनमें सोनू निगम,मुहम्मद अज़ीज़ तथा उदित नारायण का नाम उल्लेखनीय है हिन्दी गानों के अतिरिक्त ग़ज़ल,
भजन, देशभक्ति गीत, क़व्वाली तथा अन्य भाषाओं में गाए गीत शामिल हैं।
श्री सुरेश खंडेलवाल ने कहा कि साहित्य में सहित का भाव है। साहित्य समाजोन्मुखी हो गया है। लेखन से केवल लेखक को नहीं,
सबको आनंद आना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार योगराज शर्मा ने कहा,
जैनन्द्र कुमार का हिन्दी साहित्य में विशेष स्थान है फिर भी ऐसा लगता है कि समय के साथ उनके योगदान के महत्त्व को लोगों ने कुछ भुला सा दिया है। जैनेन्द्र पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने हिन्दी गद्य को मनोवैज्ञानिक गहरायों से जोड़ा। जिस समय प्रेमचन्द सामाजिक पृष्ठभूमि के उपन्यास और कहानियाँ लिख कर जनता को जीवन की सच्चाइयों से जोड़ने के काम में महारथ सिद्ध कर रहे थे, जब हिन्दी गद्य "प्रेमचन्द युग" के नाम से जाना जा रहा था,
तब उस नयी लहर के मध्य एक बिल्कुल नयी धारा प्रारम्भ करना सरल कार्य नहीं था। आलोचकों और पाठकों की प्रतिक्रिया की चिन्ता किये बिना, कहानी और उपन्यास लिखना जैनेन्द्र के लिये कितना कठिन रहा होगा, इसका अनुमान किया जा सकता है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे श्री प्रकाशचन्द्र जैन ने कहा कि साहित्य में सहित का भाव है। साहित्य समाजोन्मुखी हो गया है। लेखन से केवल लेखक को नहीं,
सबको आनंद आना चाहिए।
माहेशवरी एकता संपादक राजेश गिलडा ने कहा कि अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच भले ही आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है, लेकिन साहित्यिक सक्रियता और साहित्य रचना की दृष्टि से यह पीछे नहीं है।
विशिष्ट अतिथि घनश्याम भटटल ने डा धर्मवीर भारती के जीवन प्रसंग पर कहा उनकी कविताओं, कहानियों और उपन्यासों में प्रेम और रोमांस का यह तत्व स्पष्ट रूप से मौजूद है। परंतु उसके साथ-साथ इतिहास और समकालीन स्थितियों पर भी उनकी पैनी दृष्टि रही है जिसके संकेत उनकी कविताओं, कहानियों,
उपन्यासों, नाटकों, आलोचना तथा संपादकीयों में स्पष्ट देखे जा सकते हैं।
मंच महासचिव वीरेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला और सभी अतिथियों का परिचय करवाते हुये कहा साहित्यकारों, लेखक,
कवियो को हमेशा बढ़ावा दिया जाना चाहिए। आखिर भूखे पेट साहित्यकार रचना कैसे करेगा?
जब उसका पेट भरा होगा तभी तो वह लिख सकेगा।
एन0डी0
टी0वी0 के वरिष्ठ पत्रकार मुन्ना भारती ने कहा मीडिया को गलत बातें प्रकाशित करने से बचने के साथ ही खामियों को सही ढंग से प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी लेनी होगी। तभी मीडिया विकास में अपनी भूमिका निभा पाएगा।
वरुण जी महाराज ने कहा साहित्यकार के सत्य और समाज के सत्य को मानवीय संवेदना की गहराई से भी जोड़ने का प्रयास करना चाहिए।
आजाद सिहं सैनी ने सम्मानित साहित्यकारों एवं अतिथियों के आगमन पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि साहित्य और संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन बहुत जरूरी है। साहित्यकार समाज के सच्चे शुभचिंतक होते हैं और समाज को दिशा देते हैं।
सम्मान के तहत इस साल साहित्य उत्सव में भारत की विभिन्न क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाली जानी मानी हस्तियां में डॉ सरोजिनी प्रीतम,श्री नरेंद्र चंचल.श्री राजेश कुमार गाबा,श्री जनार्दन चौधरी,प्रो. एच.के.दास,श्रीअमित अग्रवाल ,श्री ताहिर हुसैन,श्रीमती स्वाति
जैसलमेरिया ,श्री रामानुज मालानी,श्रीमती संगीता माहेश्वरी ,पं बी एल शर्मा, श्री अशोक कुमार पाण्डेय,डॉ. हरिदत्त शर्मा,श्रीमती एकता विश्नोई,श्री राकेश त्यागी,डॉ.
एस के खन्ना,डॉ.
अंजू गुप्ता, श्रीमती पूनम बत्रा,श्री पवन सिंघल,सुश्री शहला निगार,डॉ. निशा रावत,श्री सुरेश पवार,डॉ. सलज भटनागर,डॉ. गौरव ज्ञान,श्रीमती बीना भदौरिया,श्री अशोक राज छंगाणी,श्री वी.डी. चारण,श्री विरेन्द्र परिहार,डॉ. अमित मंगल,श्री भगवान दास,श्री शिव शंकर बोहरा,श्री शंकर आकास,श्री अनिल लढ़ा,श्री मनोज शर्मा,श्री कल्पेश बजाज, ममता बजाज,सुनिता शर्मा,डॉ के.एन मिश्रा,डां नम्रता शाही,डॉ उमेश कुमार पटेल,मो एम.निजामुद्दीन,श्री बृज किशोर श्रीवास्तव,सीमा असीम सक्सेना,श्रीज्ञानेंद्र कुमार गुप्ता,प्रतिमा मिश्रा,नौशाब सुहैल दतियावी,अनामिका मिश्रा, श्री भगत सिंह राका, श्री विनय कंसल, उदय भास्कर वैश्य,श्री मुकेश कुमार कर्दम,
श्री सी .पी. बिडला को प्रतीकचिन्ह अंगवस्त्रम शाल ,श्रीफल,और अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया ।
रामानुज सिंह सुन्दरम ने कुशल मंच संचालन करते हुये कहा कि श्री बनारसीदास चतुर्वेदी अपने जमाने के एक विशिष्ट और स्वतन्त्र वृत्ति के भक्त लेखक हैं। भारत-भक्ति की, राष्ट्रीयता के दिनों में विदेशी मनीषियों की और मानव-सेवकों की कद्र करने का उनका आग्रह अनेक तरह से सराहने लायक है।
24 वाँ वार्षिक साहित्य उत्सव
में अनेक साहित्कार, बुद्धिजीवी और पत्रकारो ने हिस्सा ले अपनी भागीदारी दिखाते साहित्य उत्सव सफल बनाया । इस साहित्य उत्सव
कार्यक्रम में एन.सी.आर.एवं दिल्ली के आलावा अन्य स्थानों से आयीं अनेक हस्तियाँ मौजूद थीं ।
अखिल भारतीय स्वतन्त्र लेखक मंच के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र ने साहित्य उत्सव समारोह मे आए
सभी अथितियो का आभार व्यक्त किया।
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