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मृत्यु एक रहस्यमयी रहस्य जो आज भी है बरकरार




रहस्यमयी रहस्य की तलाश करना भी होता है एक रहस्य महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं बरकरार यहां वर्षों से छिपा है सांसारिक जीवन में आनंद का रहस्य कुछ इस तरह दे सकते हैं जीवन को एक नया अर्थ जानिए भारत के पहले फ्रधानमंत्री की सेहत का रहस्य कहते हैं कि साधना का अभ्यास इस फ्रकार करना चाहिए जिससे जीवित स्थिति में ही मृत्यु के भय से छुटकारा मिल सके। जो लोग जीते जी मौत से भयभीत नहीं होते वे ही मुक्ति की अवस्था फ्राप्त करते हैं। पूर्ण सत्य की अनुभूति किए बगैर मृत्यु के भय को जीता नहीं जा सकता। जो व्यक्ति जीवनकाल में पूर्ण सत्य की अनुभूति कर सकने में सक्षम हो जाते हैं, मृत्यु काल में ईश-कृपा से उनकी वह उपलब्धि अपने-आप अनायास हो जाती है। गीता में भी कहा गया है कि मनुष्य जिस भाव का स्मरण करता हुआ अंतकाल में देह त्याग करता है, उसी भाव से भावित होकर वह सदा उसी भाव को फ्राप्त होता है। इसीलिए लोग मृत्यु के मुहाने पर बै"s व्यक्ति के चित्त में सात्विक भावों को उत्पन्न करने के लिए कई धार्मिक विधि-विधान करते हैं, किंतु ऐसे सद्भाव व्यक्ति की मृत्यु के पूर्व किए गए सतत अभ्यास से ही चित्त में जागृत होते हैं। मृत्यु के बाद दो फ्रकार की गति होती है। जिस गति में पुनरावर्तन नहीं होता वह श्पराश् गति है, जिस गति में कर्मफल भोगने के बाद पुनरू मृत्युलोक में आना पड़ता है वह श्अपराश् गति है। परा गति के एक होने पर भी उसमें विभेद है। एक में मृत्यु के साथ ही भगवान के परमधाम में फ्रवेश मिल जाता है तो दूसरे में मृत्यु के बाद कई स्तरों से होते हुए परम धाम में पहुंचा जाता है। हां, इस स्तर पर अधोगति नहीं होती, क्रमश ऊर्ध्व गति ही होती है। इस विभेद में पहली गति मृत्यु के बाद सद्योमुक्ति है और दूसरी गतिक्रम मुक्ति है। एक अवस्था और है, जिसमें गति नहीं रहती। इस अवस्था में जीवनकाल में ही परमेश्वर का साक्षात्कार हो जाता है। यही जीवनकाल में सद्योमुक्ति यानी जीवन मुक्ति है। जो पुरुष इस अवस्था को फ्राप्त कर लेते हैं उनके लिए कुछ भी फ्राप्त करना शेष नहीं रहता। फ्रारब्धवश शरीर चलता है और कर्मक्षय होने पर देहावसान हो जाता है। निधन के वक्त अंतकरण, वाह्यकरण और फ्राणादि सभी अव्यक्त ईश्वरीय शक्ति में लीन हो जाते हैं। देहत्याग के साथ ही विदेह-मुक्ति का लाभ फ्राप्त होता है।

महाभारत के अनसुलझे रहस्य जो आज भी हैं बरकरार ये दो राजा नहीं हुए थे महाभारत युद्ध में शामिल मृत्यु एक रहस्य की तरह जो आज भी है बरकरार कौशिक मुनि से इस पतिव्रता स्त्राr ने कहा मैं बगुला नहीं हूं भगवान श्रीराम से जुड़ी ये खास   बातें जिनसे आप हैं अनजान कभी अर्जुन को दिए थे दिव्य अस्त्र अब करतीं हैं भक्तों का बेड़ापार महाभारत को पांचवां वेद कहा गया है। यह भारत की गाथा है। इस ग्रंथ में तत्कालीन भारत (आर्यावर्त) का समग्र इतिहास वर्णित है।

अपने आदर्श पात्रों के सहारे यह हमारे देश के जन-जीवन को फ्रभावित करता रहा है। इसमें सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं तथा विचित्रताओं व विडंबनाओं का वर्णन है। महाभारत में कई घटना, संबंध और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य छिपे हुए हैं। महाभारत का हर पात्र जीवंत है, चाहे वह कौरव, पांडव, कर्ण और कृष्ण हो या धृष्टद्युम्न, शल्य, शिखंडी और कृपाचार्य हो। महाभारत सिर्फ योद्धाओं की गाथाओं तक सीमित नहीं है। महाभारत से जुड़े शाप, वचन और आशीर्वाद में भी रहस्य छिपे हैं। मोहनजोदड़ो में कुछ ऐसे कंकाल मिले थे जिसमें रेडिएशन का असर था।  

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