abslm 13/07/2021 एस• के• मित्तल सफीदों :
हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की राज्यस्तरीय परियोजना बाल सलाह, परामर्श एवं कल्याण केंद्र के अंतर्गतऑनलाइन माध्यम से सवाल आपके जवाब हमारे कार्यक्रम के माध्यम से मनोवैज्ञानिक समस्याओं का समाधान करने हेतु सफीदों उपमंडल के गांव बागडू कलां स्थित नेशनल स्कूल के विद्यार्थियों, अभिभावकों व शिक्षकों से प्राप्त विभिन्न सवालों के जवाब मंडलीय बाल कल्याण अधिकारी रोहतक व राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने दिए। अनिल मलिक ने ऑनलाइन माध्यम से पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि बाल्यावस्था से ही बच्चों को परिवार और माता-पिता की वास्तविक स्थिति का ज्ञान होना चाहिए। हमेशा धरातल के करीब रहे, सच में जो मजा है झूठ में हो ही नहीं सकता। दिखावे की आदत से बचें, दूसरों की नजर में दिखावा करने से खुद का नुकसान ही होता है। घर के लोग बढ़ा-चढ़ाकर हैसियत से ज्यादा बातें ना करें। यह जानने का प्रयास करें कि पढ़ाई में किशोरावस्था के बच्चे की आहिस्ता-आहिस्ता रुचि क्यों कम हो रही है। उसकी आदतें, दोस्त, स्वभाव, बदलती भावनाओं को बारीकी से जाने। मोबाइल पर कहीं अधिक समय तो नहीं बिता रहा। ऑनलाइन शिक्षा के बाद इस तरह का परिवर्तन को समझे। कक्षीय शिक्षा के महत्व को समझाएं, भविष्य के लक्ष्य की ओर रुझान पैदा करें व रचनात्मक कार्यों में व्यस्तता बढ़ाएं। इस समय बेफिजूल लापरवाही नहीं दिखानी, बल्कि समय का सदुपयोग करना है। हमें आत्ममंथन करना है कि राष्ट्रीय आपदा में आपकी सकारात्मक भूमिका क्या और कैसे हो सकती है।
यूट्यूब पर यह भी देखें सब्सक्राइब करें और अपने सभी दोस्तों को शेयर करें... सभी खबरों की अपडेट के लिए घंटी जरूर दबाएं...
आज परिवर्तित परिस्थितियां हैं, हमें मिल जुलकर इनका मुकाबला करना है, डटे रहना है, एक दूसरे का सहयोग करना है। सिविल सर्विसेज की समय रहते बाल्यावस्था से ही तैयारियां एक बेहतर टाइम टेबल का निर्माण करने की बच्चों में आदत डालें। एनसीईआरटी की किताबों का अध्ययन करें और व्यवधान पैदा करने वाली चीजों से हमेशा दूरी कायम रखें। सामान्य ज्ञान, इतिहास, प्रशासन, संविधान की अतिरिक्त तैयारी का समय पाठ्यक्रम की शिक्षा के साथ तय करने का प्रयास करें। रिश्तो में मधुरता और सहजता अगर बाल्यावस्था से है तो मां की भूमिका भी एक पिता दोस्त बनकर निभा सकता है। शिक्षिकों के साथ-साथ तथा घर के और अन्य बड़ी-बुजुर्ग महिलाओं की मदद ली जा सकती है। अभिभावकों की परवरिश दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अपने बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए बेहतर होगी तो कोई बाधा को उन्हे रोक नहीं पाएगी। स्वभाव शांत रहे, मित्रवत रहे, बच्चों के अंदरूनी हार्मोनल बदलाव की समझ रखें ताकि बेटियों को बेटों की तरह से शिक्षित तथा उनकी जरूरतों के प्रति प्रशिक्षित भी किया जा सके। कार्यक्रम के सफल संयोजन में स्कूल प्राचार्य उमा वर्मा, महिपाल चहल, यशपाल चहल ,सोनू मलिक व कार्यक्रम अधिकारी मलकीत चहल की विशेष भूमिका रही।
निवेदन :- अगर आपको लगता है की ये लेख किसी के लिए उपयोगी हो सकता है तो आप निसंकोच इसे अपने मित्रो को प्रेषित कर सकते है