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श्री सुदर्शन एवं पदम श्री जीव दया मंदिर एवं दाना स्थल का हुआ उद्घाटन 4000 पक्षियों को मिलेगा बेहतरीन आश्रय व खाने की सुविधा भगवान महावीर की शिक्षाओं को जीवन में अंगीकार करें: श्रवण गर्ग

 abslm  5/4/2023 एस• के• मित्तल 

सफीदों,नगर की पुरानी अनाज मंडी में मंगलवार को पुरानी जैन स्थानक के सामने श्री सुदर्शन एवं पदम श्री जीव दया मंदिर एवं दाना स्थल का उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ। उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि हरियाणा गौसेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण कुमार गर्ग पहुंचे। वहीं विशिष्टातिथि के रूप में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व सदस्य एडवोकेट विजयपाल सिंह व पालिका चेयरपर्सन प्रतिनिधि संजय बिट्टा ने शिरकत की। इस अवसर पर अपनी दिवंगत पत्नी संथारा साधिका सुमन देवी की याद में लाखों रूपयों की लागत से बने इस आश्रय स्थल का निर्माण करवाकर समाज को सौंपने वाले रमेश चंद जैन और उनका परिवार विशेष से उपस्थित रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री एसएस जैन सभा के प्रधान एडवोकेट एमपी जैन ने की। अतिथियों ने रीबन काटकर पक्षी आवास एवं दाना स्थल का उद्घाटन किया। उद्घाटन अवसर पर आए हुए अतिथियों का जैन समाज की ओर से स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र देकर अभिनंदन किया गया। 

जैन समाज की ओर से आश्रय स्थल को बनाकर समाज को सौंपने वाले रमेश चंद जैन का भी जोरदार अभिनंदन व धन्यवाद किया। अपने संबोधन में चेयरमैन श्रवण कुमार गर्ग व एडवोकेट विजयपाल सिंह ने कहा कि इस पक्षी आवास एवं दाना स्थल का निर्माण करवाकर जियो और जीने दो के सिद्धांत को चरितार्थ करके दिखाया गया। जंगल व पेड़ ये दोनों चीजें ही पक्षियों का मुख्य आश्रय स्थल हुआ करती थीं लेकिन आधुनिक की दौड़ में जंगल व पेड़ निरंतर घटते चले जा रहे हैं। इनकी कमी के चलते अब पक्षियों का रहना मुश्किल हो गया है। ऐसे में इस प्रकार के आश्रय स्थलों से निश्चित तौर पर पक्षियों को रहने का स्थान प्राप्त होगा। इस स्थल पर करीब 4000 पक्षियों के रहने व भोजन की व्यवस्था की गई है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। बेजुबानों की सेवा के लिए जिस प्रकार से रमेश चंद जैन आगे आए है, उसी प्रकार अन्य समाजसेवी लोगों व संस्थाओं को आगे आना चाहिए ताकि वे भी अपना बेहतरीन जीवन जी सकें। उन्होंने कहा कि जैन धर्म का जियो और जीने दो का सिद्धांत अहिंसा है और अहिंसा ही धर्म है। जीना अधिकार है, तो जगत के प्राणियों को जीने देना हर इंसान का कर्तव्य है। भगवान महावीर की शिक्षाओं का हमारे जीवन और विशेषकर व्यावहारिक जीवन में किस प्रकार समावेश हो और कैसे हम अपने जीवन को उनकी शिक्षाओं के अनुरूप ढाल सकें, यह अधिक आवश्यक है।

 फोटो कैप्शन 4एसएफडीएम3.: श्री जीव दया मंदिर एवं दाना स्थल का हुआ उद्घाटन करते हुए अतिथिगण।


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