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भगवान शिव की पूजा एवं आराधना करने से मनोवांछित इच्छा पूर्ण होती हैं और भगवान शिव मुंह मांगा वरदान देने के लिए तत्पर रहते है।

ABSLM-25/02/2025



महाशिवरात्रि की सिरसा वासियों को बधाई देते हुए लायन्स क्लब सिरसा अमर के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी रमेश साहुवाला ने कहा कि शांत, सौम्य, सुन्दर, प्रफुल्लित एवं संतुष्ट भगवान शिव की पूजा एवं आराधना करने से मनोवांछित इच्छा पूर्ण होती हैं और भगवान शिव मुंह मांगा वरदान देने के लिए तत्पर रहते है।

उन्होंने कहा कि भगवान शिव सम्पूर्ण विश्व को अपनी भक्ति का आवरण प्रदान कर सारे कष्टों से मुक्त कर देते है और सदा-सदा भ्रम और माया से छुटकारा प्रदान करते हैं तथा भगवान शिव अपने बच्चों को ज्ञान, वैराग्य, सत्य, विवेक, श्रद्धा, विश्वास एवं प्रेम का संदेश देते हैं और उन्हें यश, कीर्ति, सम्मान प्रदान कर उन्हें दिव्य सुगन्ध फैलाने वाला बना देते हैं।
श्री साहुवाला ने कहा कि भगवान शिव अपने भक्तों को भक्ति, संतोष, न्याय एवं सदाचार का पाठ पढ़ाते हैं और आध्यात्मिक चिन्तन, दूर-दृश्टि उचित निर्णय के रूप में सदा साथ होने का आर्शीवाद प्रदान करते हैं तथा बिना किसी विचार के भगवान भोले नाथ अपने भक्तों को वह सब कुछ प्रदान कर देते हैं जिसके लिए वो अराधना करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शिव धन से प्रसन्न नहीं होते बल्कि प्रेम से की गई पूजा से ही खुश हो जाते हैं और यदि उनके चरणों में कुछ अर्पित करना हैं तो अपना प्रेम और श्रद्धा के फूल अर्पित करना चाहिए तभी हमारा उद्धार हो सकता हैं और दीन-दुखियों की सेवा एवं जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आरोग्य प्राप्ति के लिए शिव पुराण के अनुसार ॐ नम: शिवाय भगवान शिव का एक प्रभावशाली मंत्र हैं जिससे प्रतिदिन जाप से शरीर हमेशा रोग मुक्त रहता हैं और आरोग्य की प्राप्ति होती हैं। मनोकामना पूर्ति के लिए ओम् नमों भगवते वासुदेवाय नमः: शिवजी का रूद्र मंत्र हैं जिससे प्रतिदिन जाप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसके अलावा शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय शिवजी की गायत्री मंत्र का जाप करने से विशेष कृपा प्राप्त होती हैं तथा शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय छोटे मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान शिव त्याग, तपस्या, वात्सल्य और करुणा की मूर्ति हैं जो सहज प्रसन्न होने वाले और मनोवांछित फल प्रदान करने वाले हैं तथा शिव सर्वव्यापी, सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान हैं इसलिए उन्हें देवाधिदेव कहा जाता हैं।

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