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जयपुर डोल का बाड़ में वन बचाओ आंदोलन में पंडित रामकिशन पूर्व सांसद एवं रामपाल जाट ने दिया समर्थन

ABSLM  14/7/2025



जयपुर  डोल का बाड़ जहां पर पिछले चार पांच महीने पहली से लगातार पर्यावरण प्रेमी एवं मरुधरा किसान यूनियन प्रदेश अध्यक्ष दीपक बालियान अपनी पूरी टीम के साथ शांति पूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं आज इसी क्रम में भरपतूर से पूर्व सासंद पंडित रामकिशन एवं रामपाल जाट ने भी इन पर्यावरण प्रेमी समाज सेवी लोगो के साथ अपना समर्थन देते हैं उनका हौसला बढ़ाया आप को बता दें ये धरना प्रदर्शन पिछले कुछ महीनों से लगातार पर्यावरण की रक्षा करने के लिए राजस्थान सरकार से बार बार अपील के लिए किया जा रहा है 

 डोल का बाड़ क्षेत्र जो घने जंगलों के लिए प्रसिद्ध हैं मरुधरा किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बालियान एवं कई समाज सेवी और पर्यावरण प्रेमी लोगों ने डोल का बाड़ में हो रहे घने जंगलों की हो रही कटाई को लेकर सरकार से बार बार इस प्राकृतिक वातावरण के विनाश को रोकने की अपील की गई बार बार ज्ञापन सौंपा गया इसका कोई निस्तारण नहीं होने पर शांति पूर्ण तरीके से प्रत्येक रविवार को एक मीटिंग धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जाने ,आप को बता दें ये बात पुलिस प्रशासन और सरकार की आंखों में खटकने लगी और कई बार मरुधरा किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बालियान एवं उनकी टीम के साथ एवं अन्य सभी पर्यावरण प्रेमी और समाज सेवी लोगो और कुछ स्कूली बच्चों को पुलिस प्रशासन ने अपनी हिरासत में ले लिया गया परंतु इन लोगों ने पर्यावरण की रक्षा करने के लिए अपना संकल्प नहीं छोड़ा और एक बार राजस्थान सरकार के नाम एक खून से पत्र भी लिखा जिसको राजस्थान सरकार ने नजअंदाज करते हुए कोई भी संतोष पूर्ण उतर देना उचित नहीं समझा आप को बता दें इस दौरान राष्ट के चौथे स्तंभ अनके प्रतिष्ठित टीवी चैनल एवं कई प्रिंट मीडिया पर भी ये खबर अनेक बार प्रकाशित हुई तु कोई भी इस बात पर कोई निर्णय नहीं लिया गया और राजस्थान सरकार एवं भारत सरकार द्वारा इन पर्यावरण प्रेमी जो एक धरती मां पर प्रकृति की वो अनुपम छटा और सौंदर्य वो पेड़ पौधे जिन पर मनुष्य जीवन के अलावा उन मूक पशु पक्षियों का भी जीवन निर्धारित है जो इस पृथ्वी और मनुष्य जीवन के लिए प्रेम और प्रत्येक जीवन की आवश्यकता की पूर्ति करने एवं सुख शांति प्रदान करने में विशेष  सहयोगी है क्योंकि जब वन नहीं रहेंगे तो वन्य प्राणी भी नहीं रहेंगे और जब प्रकृतिबके नियम बिगड़ते हैं प्रकृति प्रकोप करती है जिसका दुष्परिणाम उन सब को भी भुगतना पड़ता हैं जो पर्यावरण की रक्षा करने के लिए संवेदन शील नहीं है आप को बता दें एक और सरकार ये बात कहती है एक पेड़ मां के नाम और दूसरी और अपने स्वार्थ के लिए जंगल के जंगल साफ कर दिए जाते है जो पेड़ वर्षों से इस धरती मां की गोद में अपने निस्वार्थ सेवा हमे और वन्य जीवों को ईश्वर के विधान अनुसार देते आ रहे हैं परन्तु कष्ट और बड़े शर्म की बात ये है कि आज सरकार स्वार्थ के वशीभूत ईश्वर प्रदत उपहार का भी घोर अनादर कर रही है और विचारे मूक पशु पक्षियों और उन पर्यावरण प्रेमियों की करुण क्रंदन और आत्म व्यथा सुनने वाला कब जन्म लेगा

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