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बिना तैयारियों के थोपी गई जीएसटी ने एमएसएमई को किया बर्बाद : अशोक बुवानीवाला मोदी सरकार जीएसटी रिफार्म के नाम पर मजबूरी में वहीं कदम उठा रही है, जिसे पहले ही कांग्रेस ने सुझाया था

 abslm 27/08/2025 




भिवानी, 22 अगस्त। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस उद्योग सैल के चेयरमैन अशोक बुवानीवाला ने कहा कि ने कहा कि 8 वर्ष पहले मोदी सरकार द्वारा बिना तैयारियों के थोपी गई जीएसटी ने भारत के सबसे बड़े रोजगार सृजनकर्ता एमएसएमई को कुचलकर रख दिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का जीएसटी कोई टैक्स रिफॉर्म नहीं है बल्कि यह आर्थिक अन्याय और कॉर्पोरेट भाई-भतीजावाद का एक क्रूर साधन है। इसे गरीबों को दंडित करने, एमएसएमई को कुचलने, राज्यों को कमजोर करने और प्रधानमंत्री के कुछ अरबपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया था। उन्होंने कहा कि जीएसटी के कारण भारत के सबसे बड़े रोजगार सृजनकर्ता एमएसएमई को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है। आठ साल पहले जीएसटी लागू होने के बाद से 18 लाख से अधिक उद्यम बंद हो गए हैं। लोग अब चाय से लेकर स्वास्थ्य बीमा तक हर चीज पर जीएसटी का भुगतान करते हैं, जबकि कॉरपोरेट सालाना 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक कर छूट का आनंद ले रहें है। बुवानीवाला ने कहा कि पेट्रोल और डीजल को जानबूझकर जीएसटी ढांचे से बाहर रखा गया है, जिससे किसानों, ट्रांसपोर्टरों और आम लोगों को नुकसान हो रहा है। जीएसटी बकाया को गैर-भाजपा शासित राज्यों को दंडित करने के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो मोदी सरकार के संघीय-विरोधी एजेंडे का स्पष्ट प्रमाण है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि देश की जनता से ‘गुड एंड सिंपल टैक्स’ का वादा किया गया था लेकिन इसके विपरित मोदी सरकार द्वारा भारत को फाइव स्लैब टैक्स रिजीम की व्यवस्था मिली, जिसमें 900 से अधिक बार संशोधन किया गया है। यहां तक कि कारमेल पॉपकॉर्न और क्रीम बन भी इसके भ्रम के जाल में फंस गए हैं। उन्होंने कहा कि नौकरशाही की भूलभुलैया बड़े कॉरपोरेट्स के पक्ष में है, जो एकाउंटेंट की सेना के साथ इसकी खामियों को दूर कर सकते हैं, जबकि छोटे दुकानदार, एमएसएमई और आम व्यापारी लालफीताशाही में डूबे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी पोर्टल लागू होने के 8 साल बाद भी उत्पीडऩ का स्रोत बना हुआ है। कांग्रेस नेता ने कहा कि जीएसटी कांग्रेस नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती यूपीए सरकार का एक विजनरी आइडिया था। इसका उद्देश्य भारत के बाजारों को एकीकृत करना और टैक्सेसन को सरल बनाना था ताकि छोटे दुकानदार से लेकर किसान तक हर भारतीय हमारे देश की प्रगति में स्टेकहोल्डर बन सके। मगर मोदी सरकार ने इसे पूरी तरह खराब कर दिया। एक रिफॉर्म जीएसटी को पिपुल फस्र्ट, बिजनेस फ्रेंडली और सही मायने में संघीय भावना वाला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसे टैक्स सिस्टम का हकदार है जो सभी के लिए काम करे, न कि मोदी जी के कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों के लिए। उन्होंने कहा कि देश के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 8 साल पहले ही जीएसटी की सिर्फ दो दरें तय करने का सुझाव दिया था, लेकिन सत्ता के अहंकारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे नजरअंदाज कर गलत तरीके से लागू किया था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जीएसटी रिफार्म के  नाम पर मजबूरी में वहीं कदम उठा रही है, जिसे पहले ही कांग्रेस ने सुझाया था। उन्होंने कहा कि सरकार के पास अब भी वक्त है कि अपने अहंकार का त्यागकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से चर्चा करें और उनके सुझावों के आधार पर जीएसटी को सरल बनाऐं ताकि देश की सुस्त पड़ी आर्थिक प्रगति को गति दी जाएं।   


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