abslm 1/10/2025
वृद्ध हमारे समाज का महत्वपूर्ण आधार स्तंभ हैं। परंतु अवस्था ढल जाने के कारण कई बार उन्हें समाज में अहमियत नही दी जाती तथा अचानक ही परिवार और समाज पर बोझ लगने लगता हैं तब वृद्धजन धीरे-धीरे मानसिक असहजता के शिकार बन जाते हैं। यह शब्द लाॅयन्स क्लब सिरसा अमर द्वारा आयोजित वृद्धजनों की अहमियत विषय पर बोलते हुए दिल्ली से पधारी मलेका ताज दिव्या सहगल हांडा ने अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर स्थानीय कोर्ट कॉलोनी में व्यक्त किए। उन्होंने कहा इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि वृद्धों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार, भेदभाव, उपेक्षा और अन्याय को रोका जा सके। इस हेतु लोगों के अंदर जागरूकता लाने के लिए तथा वृद्धजनों के प्रति सामाजिक व्यवहार बेहतर हो सके।
श्रीमती हांडा ने कहा अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पहली बार 1 अक्टूबर 1991 को मनाया गया जिसकी नींव संयुक्त राष्ट्र ने रखी तथा वृद्धजनों की समस्या को लेकर विश्व सभा भी हो चुकी थी। जिसमें इस विषय को लेकर अनेक योजनाओं पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा पुरुषों के साथ-साथ वृद्ध महिलाओं पर भी विशेष ध्यान देने पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा भारत में वृद्धों के समक्ष सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक सभी रूपों में अनेक चुनौतियां हैं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्धजनों की स्थिति ओर भी ज्यादा खराब हैं इसलिए भारत सरकार को चाहिए कि वह वृद्धजनों का अधिक से अधिक आर्थिक सहायता पहुचाएँ तथा उनके देखभाल करने की और उनके स्वास्थ्य की उचित व्यवस्था करे।
इस अवसर पर लाॅयन्स क्लब सिरसा अमर के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी रमेश साहुवाला ने कहा वृद्धजनों से हमें उनके क्षेत्र में किए गए कार्यों और विशेषताओं से उन क्षेत्रों में मद्द लेनी चाहिए। उनके साथ बैठकर युवा पीढ़ी को उनके अनुभव सुनने चाहिए। उन्होंने कहा जीवन के अंतिम श्रणों में वृद्ध को जिस लगाव, स्नेह और अपनेपन की आवश्यकता होती है उसे यह सब उसका अपना परिवार दे सकता है इसलिए बच्चों को चाहिए कि वे उन्हें अपने बुजुगों के प्रति अपना नैतिक दायित्व निभाए और उनका खयाल रखे ताकि वे अपने आपको अकेला महसूस न करें। उन्होंने कहा समाज में सामाजिक संस्थाओं को भी बुजुर्गों के लिए योग, ध्यान, साधना और समाधि सेंटर भी खोलने चाहिए। जहाँ जाकर वृद्धजन शांति प्राप्त करे और तनाव से मुक्त रह सके। उन्होंने कहा यह दिवस हमारे वरिष्ठ नागरिकों के योगदान, ज्ञान, सम्मान और आवश्यकताओं को स्वीकार करने और उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयासों को पुनः समर्पित करने का अवसर प्रदान करता हैं। इससे पूर्व माँ नीलम एवं स्वामी रमेश साहुवाला ने मुख्य अतिथि दिव्या हांडा का स्वागत किया और उन्हें सम्मान स्वरूप स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर पारुल, रीना, सुभाष, मंगत बंसल, अमर, रितुन, विजय, विनोद, संदीप, भावना, और पायल उपस्थित थें।
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