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गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र से दो राजनीतिक चेहरों को जनता पटखनी देंनें के लिए तैयार

abslm 20/2/2020 जसपाल सिहं उत्तरकाशी- उत्तराखंड

विधानसभा चुनाव 2022 में गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र से दो राजनीतिक चेहरों को जनता पटखनी देंनें के लिए तैयार। राष्ट्रीय पार्टी के दो प्रमुख चेहरे गोपाल रावत, विजयपाल सजवाण  विधानसभा चुनाव 2002 में पहली बार कांग्रेस से विधायक बने सजवाण नें बीजेपी के प्रत्याशी गोपाल रावत को भारी अंतरों से हराया उसके बाद 2005 के विधानसभा चुनाव में सजवाण नें हाथ पीछे खींचकर मुँह बोले भाई रावत को चुनाव जितवाया उसके बाद बारी-बारी से जीतनें व जनता के साथ आंख मिचौली खेलनें वाले दूर-दूर के बने मुँहबोले भाई गोपाल सिंह रावत व विजयपाल सिंह सजवाण नें पार्टी हित में कभी भी काम नहीं किया और न ही पार्टी जनाधार के लिए सोचा इन्होंनें वक्त-वक्त पर आपसी राजनीतिक तालमेल के पार्टी हाईकमान के विपरीत घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ चुनावी कैम्पेनिंग चलाकर पार्टी को भारी नुकसान पहुंचाया इन दोंनों राजनीतिक चेहरों से जनता परेशान होकर 2022 के विधानसभा चुनाव में अर्स से फर्स में लानें का मन बना रही है ।
मूल रूप से जिला मुख्यालय से दूर आराकोट बंगाण के सजवाण अपनी स्नातक शिक्षा के लिए मुख्यालय उत्तरकाशी आए और धनारी (उत्तरकाशी) के अपनें स्कूली मित्र गोपाल सिंह रावत के घर पर आते-जाते रहे दोनों में गहरी मित्रता हुई और तभी छात्र चुनाव से शुरू दोनों बारी-बारी से अध्यक्ष, प्रमुख और फिर विधायक बनकर जय और वीरू की दोस्ती निभाते आ रहे हैं। दोंनों विधायकों नें सिर्फ और सिर्फ अपनें चहेतों(चमचों) की चांदी बनायी बाकी विकास के नाम पर वरुणावत का 90 हजार करोड़ रुपये और 2013 की आपदा के अरबों रुपये भी बारी-बारी से मिल बांटकर ठिकानें लगाए दोंनों नेताओं नें कभी भी विधानसभा क्षेत्र में मजबूत विपक्ष की भूमिका न निभाकर " तू भी खा मैं भी खाऊँ और तू भी आ मैं भी आँऊ" वाली गन्दी राजनीति का राजनीतिकरण कर गंगोत्री विधानसभा की जनता व उनके विकास, विश्वास व वोटों के साथ धोखा किया।
इतना ही नहीं उत्तरकाशी शहर का आजाद मैदान आज भी अपनीं आजादी के लिए दोंनों विधायकों की आपसी बारी व मिलिभगत की बलि चढ़ रहा है आलम यह है कि खेल में रुचि रखनें वाले खिलाड़ियों के लिए आजाद मैदान भी बंधक पड़ा है पलायन से शहर में दिनों दिन बढ़ती आबादी के शहर का कूड़ा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है आलम यह है कि दोंनों विधायकों की आपसी मिलीभगत भाईचारा व भारतीय जनता पार्टी के सीटिंग विधायक गोपाल रावत प्रधानमंत्री मोदी की नमामि गंगे व स्वच्छता मिशन जैसे कार्यक्रम की पोल खोलता नजर आ रहा है। वरुणावत पर्वत का कार्य 2012 से अब तक बेहिसाब चल ही रहा है, यहाँ भी आलम आपसी भाईचारे के चलते वरूणावत ट्रीटमेंट कछुआ गति से चलता जा रहा है। तिलोथ मोटर पुल 2013 की आपदा में बह जानें के चलते अभी बन ही रहा है जो पूरा नहीं हुआ। फैशन व सुबिधाओं के चलते शहर में बढ़ती गाड़ियों की संख्या से परेशान जनता शुरू से ही बस अड्डे और वाहन पार्किंग की मांग करती रही लेकिन जनता को आज तक वाहन पार्किंग व बस स्टैंड नहीं मिल पाया चेलों के विकास पुरुष कहे जानें वाले मूल रूप से पुरोला विधानसभा क्षेत्र के रहनें वाले गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक सजवाण भी क्षेत्र की 80 प्रतिशत पढ़ी लिखी जनता को भी विकास के नाम पर ठगते रहे आलम यह है कि चुनें जानें के कुछ दो तीन साल बाद इन्हें जनता की सुविधा देंनें की नहीं बस जनता को परेशान करनें की आदत सी बनी रहती है इन्हें मालूम है कि इन्हीं असुविधाओं के चलते जनता दूसरे भाई को ही चुनेगी लेकिन जनता सब समझ गयी है जबकि सरकारें खेल, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क व पानी के लिए दृढ़ संकल्पित है ।
भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान विधायक गोपाल रावत से जनता ही नहीं बल्कि पार्टी कार्यकर्ता, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद आदि वरिष्ठ कार्यकर्ता नाखुश हैं जिन्हें जीतनें के बाद आज तक विश्वास में नहीं लिया जाता रहा पार्टी यह भी न भूलें कि गंगोत्री विधानसभा ही नहीं देश में पार्टी जिंदा थी अटल, और है तो मोदी और सहयोगी संगठनों के कारण सहयोगी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं नें यह भी कहा कि हम वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की अनदेखी यूं ही होती रही तो वो दिन दूर नहीं हम क्षेत्रीय पार्टियों को मिलकर अपना समर्थन देंगें। उन्होंने कहा कि संगठनों/पार्टियों के पैर कार्यकर्ता हैं जो रात-दिन शर्म-लाज, भूख-प्यास, बैनर, पोस्टर, झंडे लगाकर संगठन/पार्टी को खड़ा करते हैं जिस दिन कार्यकर्ताओं नें पैर खिसका दिया तो न संगठन बचेगा और न ही पार्टियां उन्होनें कहा कि संगठन/पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता को अनदेखा करनें की भी समय सीमा होती है आखिर कब तक वह भूखे-प्यासे संगठन के लिए काम करता रहेगा निश्चित वह दूसरे दलों की ओर रुख करेगा ।
संगठन, पार्टी व कार्यकर्ताओं में मजबूत पकड़ और सामाजिक मुद्दों, क्षेत्रीय समस्याओं के लिए अनवरत कागजी लड़ाई लड़नें वाले वरिष्ठ पत्रकार, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य, गढ़वाल मंडल विकास निगम डाइरेक्टर, भारतीय रेलवे सदस्य लोकेन्द्र सिंह बिष्ट पर गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र की जनता कर सकती है विश्वास। गली, मोहल्लों, चौराहों, चाय स्टालों, पान की दुकानों पर चल रही है उनके नाम की चर्चा अगर पार्टी नें जताया विश्वास तो टूट सकता है गंगोत्री विधानसभा में बारी-बारी व भाई-भाई वाला रिकॉर्ड लोकेंद्र बिष्ट के जीतनें के बाद गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र को मिल सकता है मंत्रालय बन सकता है यह भी रिकॉर्ड ।

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