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समान नागरिक संहिता को स्वराज अभियान का समर्थन

abslm -14 अक्टूबर, 2016
अनिल  रुद्र


स्वराज अभियान समान नागरिक संहिता का समर्थन करता है। समान नागरिक संहिता का विचार धर्म की आज़ादी और सांस्कृतिक विविधता के साथ साथ समानता के अधिकार को भी अपने आप में समेटे हुए है। 
देश के सभी नागरिकों के लिए एक “समान” धर्मनिरपेक्ष पर्सनल लॉ की आकांक्षा को हमारे संविधान के निर्देशक सिद्धांतों में व्यक्त किया गया है। यह विचार आदर्श भारतीय धर्मनिरपेक्षता के अनुकूल है और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए राज्य को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति देता है। दुर्भाग्य से, हिंदू, मुस्लिम या अन्य धार्मिक समुदायों के सभी पर्सनल लॉ महिलाओं के खिलाफ़ भेदभाव वाले प्रतिगामी रीति-रिवाजों को वैधता देते हैं। एक उदार, लोकतांत्रिक और सभ्य समाज में यह अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। विवाह, तलाक और संपत्ति से सम्बंधित बुनियादी कानूनी प्रावधान हर नागरिक के लिए उनके धर्म के कारण अलग-अलग नहीं हो सकते। 
समान नागरिक संहिता धार्मिक रस्मों-रिवाज़ और प्रथाओं का विनियमन नहीं है। ना ही यह बहुसंख्यक आबादी के पर्सनल लॉ का बाकी की जनता पर थोपना हो सकता है। यह किसी एक समुदाय मात्र के पर्सनल लॉ को बदलने की प्रक्रिया नहीं है। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि धार्मिक समुदायों के रीति-रिवाजों और प्रथाओं की विविधता से मुंह मोड़ लिया जाएगा। समान नागरिक संहिता एक साझा मापदंड है जो विवाह, तलाक और संपत्ति से जुड़े सभी कानूनी मामलों को न्यायसंगत ढंग से परिभाषित करता है। 
समान नागरिक संहिता के दो प्रारूप हो सकते हैं। यह एक ऐसा कानून हो सकता है जो मौजूदा सभी पर्सनल लॉ में से सबसे उदार, निष्पक्ष और गैर भेदभावपूर्ण प्रथाओं को लेकर बनाया जाए और सभी पर्सनल लॉ को हटा दिया जाए। ऐसे कानून में विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समुदायों के रीति-रिवाजों और प्रथाओं की भी गुंजाईश बनी रहेगी। 
वैकल्पिक रूप से, एक और अर्थ यह भी हो सकता है कि समान नागरिक संहिता में सभी मौजूदा पर्सनल लॉ को यथावत छोड़ देना लेकिन इन सभी कानूनों में से महिला विरोधी और संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन करने वाले प्रावधानों को हटा देना। समान नागरिक संहिता कानून के लिए इन दोनों संस्करणों में, सभी समुदायों के बीच विचार-विमर्श और खुली बहस के जरिए सर्वसम्मति बनाने की जरुरत है।
हम सरकार, विपक्ष और सभी समुदायों के नेतृत्व एवं प्रतिनिधियों से आग्रह करते हैं कि इस विचार को लेकर संवाद बनाने में सहयोग करें ताकि देश आम सहमति की भावना के साथ हमारे संवैधानिक आदर्श की ओर आगे बढ़ सके।                         

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