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30 मई को 'हिन्दी पत्रकारिता दिवस' के रूप में मनाए जाने की परम्परा शुरू हुई

abslm 30/05/2020 

आज 30 मई 'हिन्दी पत्रकारिता दिवस' पर सभी कलम के क्रांतिवीर ,कर्म योद्धा मेरे प्रियवर पत्रकार  बन्धुओं,सम्मानितसमाचार पत् के प्रकाशकों  संपारकाऔर भारतवासियो हिन्दी प्रेमी सुधी पाठकों को कोटि-कोटि बधाई एवं असीम-अनन्त शुभकामनायें

भारत की आत्मा गॉवो मे निवास करती है, हिन्दी भारत माँ की माथे पर विन्दी पर सुशोभित हो कर हमारी संस्कृति ब सभ्यता अनवरत संचार कर विश्व के मान चित्र अपनी विजय का विगुल फुँक रही है। जहाँ तक भारत में प्रजातंत्र के प्रहरी के रूप समाचार पत्र केइतिहास का प्रशन है। यह लगभग दो सदी पुर्व  आज के दिन ही हिन्दी का पहला समाचार पत्र   "उदन्त मार्त्तण्ड"(साप्ताहिक) 30 मई 1826 ई० को कलकत्ता से प्रकाशित हुआ था। इसी लिए 30 मई को 'हिन्दी पत्रकारिता दिवस' के रूप में मनाए जाने की परम्परा शुरू हुई।
इसके संपादक हिन्दी भाषी बाहुल्य राज्य उत्तर प्रदेश के पं० जुगल किशोर शुक्ला थे। शुक्ला जी कानपुर के मूल निवासी थे।

इसी से हिन्दी पत्रकारिता के आविर्भाव में उत्तर प्रदेश का योगदान अमिट और अविस्मरणीय रहेगा।
क्योंकि ब्रिटिश साम्राज्य की औपनिवेशिक राजधानी कलकत्ता थी। इसी से उन्होंने "उदन्त मार्त्तण्ड" को कलकत्ता से प्रकाशित किया।
हॉलकि इससे पूर्व दशक 1819 ई० में राजा राममोहन राय ने भारतीय भाषा मे पहला समाचार पत्र "संवाद कौमुदी"(बंगला भाषा) मे कलकत्ता से निकाला था।बाद में "मिराकुल","बंगाल गजट" आदि कई अखबार बंगला भाषा मे प्रकाशित किये।

राजा राममोहन राय का मुख्य फोकस सामाजिक चेतना जागृत करना था। उन्होंने अपने समाचार पत्र के माध्यम से 'बाल विवाह','सती प्रथा','अंधविश्वास', बहु विवाह जैसी कुप्रथाओं पर प्रहार कर इन्हें दूर करने का प्रयास करते थे।

राजा राममोहन राय से प्रभावित होकर पं०जुगलकिशोर(कानपुर) ने हिन्दी भाषा मे पहला साप्ताहिक समाचार पत्र "उदन्त मार्त्तण्ड" निकाला।
इसलिए हिन्दी पत्रकारिता के प्रसार में राजा राममोहन का योगदान भुलाया नही जा सकता।
30 मई 'हिन्दी पत्रकारिता दिवस' को 'हिन्दी समाचार पत्र प्रकाशन दिवस' भी कहें तो अतिश्योक्ति न होगी।

हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के प्रकाशक वर्तमान में हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्रों को उचित सम्मान नही देते। लेकिन वह यह भूल जाते है कि भारतवर्ष में 'हिन्दी पत्रकारिता' की शुरुआत साप्ताहिक समाचार पत्र से हुई थी।
हिन्दी पत्रकारिता दिवस की शुभ अवसर पर उल्लेख करने से अपने आप को रोक नही पा रहा है,आज के विषम परिस्थित मे जब कोरोना संकट काल के कहर भारत समेत सम्पूर्ण विश्व झुज रहा है,  हाँलाकि विपत्ति के इस घड़ी मे भारत सरकार ने द्वारा कई आर्थिक पैकेज की घोषणा करते जान व जहान की बातें कही है, 
   लैकिन प्रजातंत्र के प्राण व प्रहरी व चौथे स्तंम्भ के रूप अनवरत सेवा कर रहे समाज व राष्ट्र के सच्चे प्रहरी की अनदेखी की गई , जहाँ प्रधान मंत्री के द्वारा आर्थिक पैकज की विस्तृत जानकारी रायशीना  रोड स्थिति भव्य नेश्वल मीडिया सेन्टर मे पत्रकारो के पॉच दिन के देश के वित मंत्री के द्वारा जानकारी दे रही थी , इस दौरान जब पत्रकार समुदाय का सब्र का टुट गये तो आन्तिम दिन एक वरिष्ट पत्रकार ने अपनी पत्रकार विरदारी की विरह वेदना को वित्त मंत्री को याद दिलाते हुए प्रशन पछा कि आज कोरोना संकट काल मे समाज व राष्ट्र के हितो के अपने प्राणो की बाजी लगा कर सेवा करने वाले छोटे व मझोले अखवार व पत्रकारो के लिए क्या है इस राहत पैकेज में,  क्या पत्रकार के लिए सरकार क्या सोचा ,या भविष्य मे क्या कोई योजना ला रही है,  
देश के पत्रकारो के इस प्रतिनिधि पत्रकार बन्धु के प्रशन पर निरूतर होकर अपने अगल - बगल ताक झॉक करने लगी,
अंत मुस्कुराते हुए ,केवल घन्यवाद बोल दी
आज हिन्दी पत्रकारिता दिवश पर जब हम संकट काल अपने जान की बाजी लगा कर राष्ट्र की सेवा कर रहे है, कई साथी की जान भी चली गई , कई पत्रकार साथी के नौकरी पर तलवार लटकी हुई है , कई कलम के सिपाई के घर चुल्हा नही जल रहा है , ना जाने कितनी अन्नत वेदना अपने अन्दर सिमटे हए है
अन्त मे पत्रकार वन्धुअो को विशेष कर लधु ,मझोले ,हिन्दी पत्र पत्रकारिता से जुड़े हुए सभी कलम / कैमरे के जड़े नारद मुनि के वंसज व विद्या बुद्धि ,के वागेशरी देवी ,माँ सरस्वती के मानस प्रत्र को सलाम
    विनोंद तकियावाला  स्वतंत्र पत्रकार

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