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कृषि आंदोलन से कारोबार भी प्रभावित होने लगा है

 Abslm 26/12/2020 लक्ष्मण सिंह स्वतंत्र



 घरौंडा। कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसान संगठनों और केन्द्र सरकार की निरंतर विफल होती वार्ता अब कृषि के साथ-साथ उद्योग व व्यापार जगत के लिए गंभीर परिणाम सामने ला रही है इसलिए केन्द्र सरकार अगर किसानों को अपनी बात नहीं समझा पा रही है तो उसे जल्द से जल्द ये कानून वापिस लेने चाहिए। ये बात राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने आज घरौंडा में व्यापारी संजय गुप्ता के प्रतिष्ठान पर व्यापारियों की बैठक में किसान आंदोलन से उद्योग एवं व्यापार जगत पर पडऩे वाले प्रभाव पर चर्चा के दौरान कही। बुवानीवाला ने कहा कि आंदोलन से कारोबार भी प्रभावित होने लगा है। मंडिया ठप्प पड़ी है, उद्योग धंधों में कच्चें माल की कमी होने लगी है और ट्रांसपोर्ट की आवाजाही न होने की वजह से तैयार माल को अन्य राज्यों में नहीं भेजा जा रहा हैं। जो देश की दैनिक जरूरतों और अर्थव्यवस्था के लिए बिल्कूल भी ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली से सटे होने के कारण हरियाणा के उद्योगपति व व्यापारी सबसे ज्यादा प्रभावित है और इन हालात में विडम्बना की बात है कि प्रदेश सरकार भी हाथ पर हाथ धरे बैठी है। उद्योग एवं व्यापार जगत कृषि और सरकार के बीच पुल का काम करते हैं। देश की जरूरतों को पूरा करने और विकास में मुख्य भूमिका निभाते हैं। किसान आंदोलन जितना लंबा होगा वो इस पुल की नींव कमजोर करने का काम करेगा। नोटबंदी और जीएसटी पहले ही देश के लघु व मझले उद्योग व खुदरा व्यापार को खोखला कर चुके हैं अब तीनों नए कृषि कानून न सिर्फ किसानों बल्कि देश के उद्योग व व्यापार को सीधे तौर पर बर्बाद करने आ रहा है। केन्द्र सरकार मात्र दो-चार पुंजीपतियों के लिए पूरे देश का भविष्य दांव पर लगा रही है जोकि न्याय संगत नहीं है। केन्द्र अपना अडियल रूख त्यागकर या तो किसानों के साथ समझौता करे या फिर इस काले कानून को वापिस ले। 

बैठक के दौरान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष गुलशन ढंग ने नए कृषि कानून वापिस लेने की मांग करते हुए कहा कि जिस प्रकार सरेआम व्यापारियों को बिचौलिया व बेईमान जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है वो निंदनीय है। उन्होंने कहा कि किसान व आढ़तियों का चौली-दामन का वर्षों पुराना नाता है लेकिन सरकार उनके भाईचारे को खत्म करना चाहती है। किसान की मांगे जायज है। किसानों के लिए क्या जरूरी है ये बिना उनसे संवाद किए सरकार कैसे बता सकती है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार एवं किसान के बीच हुई बैठकें बेनतीजा रहीं, उसने मंडी व्यापार की चिंता को बढ़ा दिया है। केन्द्र सरकार को बातचीत का विकल्प लेकर खुद किसानों की बीच जाना चाहिए और उनकी व देश की तमाम जनता की आशंकाओं का दूर करना चाहिए। 

राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के राष्ट्रीय महासचिव विकास गर्ग ने कहा कि केन्द्र और किसानों के बीच की इस लड़ाई में व्यापारी वर्ग का पिसना शुरू हो गया है। अब वक्त आ गया है कि दोनों पक्षों को थोड़ा नर्म रूख दिखाना चाहिए ताकि बातचीत के जरिए जल्द से जल्द समस्या का समाधान हो सकें। ये अच्छी बात है कि दोनों ही पक्षों ने वार्तालाप का विकल्प खुला छोड़ रखा है लेकिन जब तक केन्द्र सरकार कोई ठोस प्रपोजल नहीं बनाती तब तक वार्तालाप का ये दौर बेमानी ही दिख रहा है। 

राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन की घरौंडा कार्यकारिणी का गठन -

बैठक के दौरान प्रदेश अध्यक्ष गुलशन ढंग ने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला की अनुशंशा से घरौंडा की कार्यकारिणी का गठन करते हुए गगन दीप विग को संरक्षक, रोहित गोयल को प्रधान व विजेन्द्र गुप्ता को उपप्रधान नियुक्त किया। इसके अलावा संदीप वर्मा को सचिव, अनिल मित्तल को कोषाध्यक्ष, प्रवीण गोयल को सलाहकार तथा रूपेश गोयल, पंकज जैन, मोनू जैन, जैकी, संजय गुप्ता, यशपाल घनघस, आनंद गोयल व विनोद जैन को सदस्य कार्यकारिणी नियुक्ति किया गया। 

 

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