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अधिकतर मीडिया कर्मी क्यों कतराते है सच लिखने से,क्या है मुख्य कारण

 abslm 3/52024




आज बात करे मीडिया जगत की तो पत्रकारों की इतनी भरमार है गांव गांव और शहर, कस्बा हर घटना की जानकारी मीडिया जगत से छुपी नहीं है हर तरह की खबर आज के समय में आग की तरह फेल जाति है फिर भी बड़े ही खेद की बात ये कि अधिकतर अपराधिक घटनाएं एवम भ्रष्टाचार की घटना की जानकारी या तो तोड़ मरोड़ कर दी जाती है या फिर पूर्ण रूप से छुपा ली जाती है आखिर क्या है इस सब के कारण 
तो आइए बात करे सर्व प्रथम और सबसे अहम पहलू हैं पत्रकार सुरक्षा कानून का ना होना क्योंकि जब कोई भी मीडिया कर्मी चाहे वह लिखित समाचार एजेंसी से है या टीवी चैनल से जब जब किसी मीडिया कर्मी ने सच सामने लाने का प्रयास किया है या तो उसके साथ मार पीट ,अपमानजनिक बर्ताव ,होता है या कभी कभी जान से भी हाथ धोना पड़ जाता है और शासन प्रशासन इस विषय पर आज तक सक्रिय भूमिका निभाने में असमर्थ रहा है, इसी कड़ी में बात आती है शासन प्रशासन द्वारा राष्ट्र के चौथे स्तंभ की रक्षा करने की तो कटु सत्य ये है की यदि पत्रकार सुरक्षा कानून पूर्ण रूप से लागू किया गया तो सर्व प्रथम लेखनी शासन प्रशासन के अपराधिक मामलों और भ्रष्टाचार पर ही चलने वाली है,और यदि ऐसा होता है तो शासन प्रशासन पर अंगिनित प्रश्न चिन्ह लग सकते हैं,

दूसरा कारण है अधिकतर मीडिया कर्मियों को सही दिशा निर्देश और अच्छे संस्कार ना मिल पाने के अभाव के कारण एक और भय सता रहा है यदि पत्रकार सुरक्षा कानून लागू पूर्ण रूप से लागू होता है तो आधे से ज्यादा मीडियाकर्मी इसका दुरुपयोग निजी स्वार्थ के लिए कर सकते हैं जिसका नकारात्मक प्रभाव सभी पर पड़ेगा ,
तीसरा अहम पहलू ये है कि जितने भी प्रिंट मीडिया और टीवी चैनल आधे से ज्यादा एड लगाने पर निर्भर है क्योंकि करोड़ों की लागत से चलने वाली प्रेस कंपनियों को मान्यता प्राप्त तो कर दिया जाता है परंतु कोई फंड जारी नही किया जाता और फिर समस्या ये होती है जिस राजनेतिक एड पर कुछ प्रेस  कंपनी निर्भर है वो अपराधिक मामलों और भ्रष्टाचार के बड़े बड़े घोटालों पर खुलकर टीका टिप्पणी करने में सकुचाते है इन सभी कारणों के चलते चाहकर भी मीडिया जगत सच दिखाने में असमर्थ है
ये सम्पूर्ण लेख मेरे निजी अनुभव और वर्षो से धरातल पर देखी गई घटनाओं पर आधारित है ,जो एक कटु सत्य है,आशा करता हूं राष्ट्र के चारो स्तंभ यदि अपने कर्तव्य पालन और मानव कल्याण की भावना को ह्रदय में रखकर एक दूसरे के लिए प्रति ईर्ष्या भाव और  छल कपट को कम करके अपनी अपनी जिम्मेदारी यदि निभाते हैं तो भारत वर्ष पूरे पृथ्वी लोक पर अग्रणीय और पूजनीय था और रहेगा,,
               बलदेव चौधरी

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