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गांव खेड़ा खेमावती में हुआ हीरामल जमाल सांग का मंचन

abslm  3/5/2024 एस• के• मित्तल 

सफीदों,  इंडियन कल्चरल एण्ड सोशल एजूकेशन सोसाइटी के तत्वावधान में उपमंडल के गांव खेड़ा खेमावती में हीरामल जमाल नामक सांग का मंचन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के एसडीओ अंकुश गर्ग ने की। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के सचिव घनश्याम दास ने की। सांग का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। सांगी संजय की टीम ने सांग प्रस्तुत करते हुए बताया कि हीरामल जमाल साग एक प्रेम कहानी पर आधारित था। साग की कहानी किसी दूर देश रुम के राज्य से शुरू होती है। जहां का बादशाह मुहम्मद खां है। 
उसी के राज्य में सेठ करोडीमल नाम का एक धन्ना सेठ होता है। करोडीमल का बेटा हीरामल एक बेहद ही खुशदिल इसान है, जिसे अपने लोगों से मुहब्बत है। हीरामल अक्सर अपने दोस्त कमलूद्दीन पठान के साथ रहता है। हीरामल हालाकि हिदू था, किंतु उसे बचपन से ही कुरान शरीफ सुनने का शौक था। उसी राज्य के वजीर हसन अली की बेटी जमाल को एक दिन हीरामल कुरान पढ़ते हुए देखता है और देखता ही रह जाता है। फिर आए दिन हीरामल जमाल के पास कुरान सुनने के लिए आने लगता है। इस बीच दोनों में पहले दोस्ती और फिर उनकी वहीं दोस्ती प्यार में तब्दील हो जाती है। इस तरह हीरामल अक्सर जमाल के पास जाना शुरू कर देता है। और फिर जल्द ही छिप छिप के मिलने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। एक दिन एक दरोगा हीरामल को वजीर हसन अली के मकान के इर्द-गिर्द टहलता हुआ पकड़ लेता है और आवारा गर्दी के जुर्म में गिरफ्तार कर लेता है।
 

किंतु जब वजीर को इस बात का पता लगता है कि हीरामल उसकी बेटी जमाल से प्यार करता है तो वह हीरामल को फांसी पर लटकाने का हुक्म दे देता है। बेटे को मुसीबत में फंसा देखकर उसके मा-बाप भी उससे मुंह मोड़ लेते हैं, किंतु हीरामल की प्रेमिका जमाल मर्दाना वेश धारण करके उसका वकील बनकर राजा के दरबार में पहुंच जाती है। राजा और उसके अन्य अधिकारियों से जिरह करके जमाल हीरामल को बचा पाने में सफल हो जाती है। अंतत: हीरामल आजाद हो जाता है और फिर दोनों अच्छे दोस्त बन जाते हैं। अपने संबोधन में एसडीओ अंकुश गर्ग ने कहा कि हरियाणा की महान संस्कृति को बचाने में युवा पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए प्रयासों की आवश्यकता है। हरियाणवीं संस्कृति को फलीभूत करने में सांग का अहम योगदान रहा है। वर्तमान दौर में सांग का मंचन सिमटता चला जा रहा है जोकि एक चिंतनीय विषय है। ऐसे में विलुप्त हो रही सांग की संस्कृति को बचाने में आयोजक संस्था अपना अहम रोल अदा कर रही है, जिसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। कार्यक्रम के समापन पर अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर पंकज भाटिया, राजीव कुमार, जेई प्रमोद कुमार, विजय कुमार, नरेश सौलंकी विशेष रूप से मौजूद थे।
 
फोटो कैप्शन 3एसएफडीएम5.: सांग का मंचन करते हुए कलाकार।
फोटो कैप्शन 3एसएफडीएम6.: कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए एसडीओ अंकुश गर्ग।

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