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सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने से युवाओं के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास होता है

abslm 02-11-2017

सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने से युवाओं के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास होता है। युवा शक्ति को दिशा देने में शैक्षणिक संस्थानों एवं युवा महोत्सवों का अहम योगदान होता है। भारत के अन्दर विश्व के सबसे अधिक युवा हैं और यहां के युवाओं का डंका विश्वभर में बोलता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रभावी तरीके से सामाजिक संदेश जन-जन तक पहुंचाये जा सकते हैं। 
 ये उद्गार  हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री प्रो0 गणेशी लाल ने चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा के बहुउदेश्यीय हॉल में युवा महोत्सव 2017 विधिवत उद्घाटन करने के उपरान्त व्यक्त किये। बतौर मुख्यअतिथि बोलते हुए प्रो0 गणेशीलाल ने कहा कि इस महोत्सव का उद्घाटन करने में उन्हें अत्यंत खुशी हो रही है और युवाओं के बीच में वो भी अपने आप को युवा महसूस करते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रम युवा शक्ति को दिशा देने में काफी कारगर साबित होते हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपनी ऊर्जा समाजहित व राष्ट्रीय निर्माण में लगानी चाहिए। 
इस उदघाटनीय सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 विजय कायत ने कहा कि चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा शिक्षा और खेलों के क्षेत्र में तो नये आयाम स्थापित कर ही रहा है साथ की साथ प्रदेश की संस्कृति के प्रचार प्रसार में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।
सवर्णिम हरियाणा थीम पर आधारित इस युवा महोत्सव के माध्यम से हरियाणा के विकास की झांकी को भी प्रतिभागियों द्वारा दर्शाया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस युवा महोत्सव की विभिन्न विधाओं में विश्वविद्यालय तथा इससे संबंधित महाविद्यालयों की टीमें तीन दिन तक विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में अपनी प्रतिभाओं का जौहर दिखायेंगी। यहां तक पहुंचने में प्रतिभागियों ने काफी अरसे से कठोर परिश्रम व अनुशासन में रहकर अनेक प्रकार के कौशल विकसित किये हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ-साथ जो विद्यार्थी अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में बढ़चढ़ कर भाग लेने वाले विद्यार्थी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कामयाब होते हैं।
इस प्रकार के महोत्सवों से युवा शक्ति को सही दिशा मिलती है और प्रबन्धकीय दक्षता विकसित होती है। भारत के अन्दर विविधता में एकता है और भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है। उन्होंने अनेक एतिहासिक उदाहरण देकर भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इससे पूर्व विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो0 असीम मिगलानी ने कहा कि युवा महोत्सव के माध्यम से युवाओं में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। उन्होंने कहा कि महोत्सव में भाग लेने वाले युवा की हौंसला अफजाई में श्रोता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
श्रोताओं की तालियों से प्रतिभागियों की होसला अफजाई होती है इसलिए दर्शकों को कर्तल ध्वनी में कंजुसी नहीं बरतनी चाहिए। छीपी हुई प्रतिभाओं को ढुंढने में भी इस प्रकार के कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। युवा महोत्सव के माध्यम से सामाजिक जागरूकता फैलाने का कार्य भी किया जाता है। युवा कल्याण निदेशालय के निदेशक डा0 मोहम्मद कासिफ किदवई ने मुख्य अतिथि व मेहमानों का स्वागत किया जबकि छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो0 दिलबाग सिंह ने धन्यवाद किया। मंच का संचालन प्राध्यापिका डा0 मंजु नेहरा व डा0 गीतु द्वारा सफलता पूर्वक किया गया। मुख्यअतिथि को साल व स्मृतिचिन्ह भेंट करके सम्मानित किया गया।
    इस अवसर पर प्रो0 सुरेश गहलावत, प्रो0 विक्रम सिंह, प्रो0 राजबीर दलाल, प्रो0 राजकुमार सिवाच, प्रवीण आगमकरप्रो0 दीप्ति धर्माणी, कुलपति की धर्मपत्नी डा0 निर्मला कायत, प्रो0 उमेद सिंह, विजय तौमर आदि उपस्थित थे।  


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